Ram Navmi Kyo Manai Jati Hai जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा और महत्व

Published On: April 6, 2025
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ram Navmi Kyo Manai Jati Hai

राम नवमी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है और इसे “धर्म की अधर्म पर जीत” का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Ram Navmi Kyo Manai Jati Hai? आइए, इसके इतिहास, महत्व और परंपराओं को विस्तार से समझते हैं।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में राक्षसराज रावण के अत्याचारों से पृथ्वी त्रस्त हो गई थी। उसने अपने बल से देवताओं तक को परेशान किया था। तब भगवान विष्णु ने राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में जन्म लिया। माना जाता है कि चैत्र नवमी के दिन दोपहर 12 बजे अयोध्या में उनका जन्म हुआ था। इसलिए, यह त्योहार अधर्म पर धर्म की जीत और आदर्श जीवन की प्रेरणा देने के लिए मनाया जाता है।

राम नवमी का धार्मिक महत्व: जीवन के 4 सबक

  1. मर्यादा का पालन: श्रीराम ने वनवास के दौरान भी राजधर्म और पितृ आज्ञा का पालन किया।
  2. सत्य की रक्षा: लंका पर विजय से सिद्ध हुआ कि सच्चाई कभी हार नहीं सकती।
  3. भक्ति की शक्ति: हनुमान जी की भक्ति ने राम-रावण युद्ध का रुख मोड़ दिया।
  4. समानता का संदेश: शबरी के झूठे बेर और निषादराज गुह के साथ मित्रता ने जातिगत भेद को चुनौती दी।

राम नवमी कैसे मनाएं? पूजा विधि Step-by-Step

श्री राम पूजन सामग्री

पूजन सामग्री उपयोग
तांबे का पात्रदेव मूर्ति स्नान हेतु
तांबे का लोटाजल अर्पण व स्नान के लिए
जल का कलशपूजन में पवित्र जल हेतु
दूधस्नान एवं पंचामृत में उपयोग
पूजन वस्त्र व आभूषणमूर्ति को अर्पण करने हेतु
चावलअक्षत रूप में अर्पित
कुमकुमतिलक व पूजन हेतु
दीपकआरती हेतु
तेलदीपक जलाने हेतु
रुईदीपक में बाती के लिए
धूपबत्तीवातावरण को शुद्ध करने हेतु
फूलपूजन में अर्पण करने हेतु
अष्टगंधपूजन व तिलक में उपयोग
तुलसीदलश्रीराम पूजन में विशेष महत्व
तिलविशेष पूजन सामग्री
जनेऊदेवता को अर्पण करने हेतु
फलप्रसाद हेतु
मिठाईभोग व प्रसाद के रूप में
नारियलशुभता का प्रतीक, पूजन में आवश्यक
पंचामृतअभिषेक हेतु (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
सूखे मेवेभोग व प्रसाद के रूप में
शक्करपंचामृत में व प्रसाद हेतु
पानप्रसाद में अर्पण
दक्षिणापूजन समापन पर ब्राह्मण आदि को दी जाती है

विधि:

  1. सुबह की शुरुआत: स्नान करके घर को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. कलश स्थापना: मिट्टी के कलश पर स्वस्तिक बनाएं और उसे सजाएं।
  3. प्रतिमा स्थापित करें: राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों को लाल कपड़े पर रखें।
  4. मंत्रों का जाप:
  • “ॐ दशरथाय विद्महे, सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्”
  • “श्री राम जय राम जय जय राम”
  1. भोग लगाएं: फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें।
  2. आरती: दोपहर 12 बजे आरती करने का विशेष महत्व है।

व्रत का महत्व और नियम

राम नवमी का व्रत संतान की लंबी आयु और पारिवारिक शांति के लिए किया जाता है। इस दिन:

  • केवल फलाहार या सात्विक भोजन ही खाएं।
  • काले नमक और लहसुन-प्याज से परहेज करें।
  • “रामायण पाठ” या “सुंदरकांड” का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

Ram Navami Vrat Katha (राम नवमी व्रत कथा)

एक बार भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान एक वृद्धा के घर पहुंचे। वृद्धा उन्हें पहचान न सकी पर अतिथि धर्म निभाते हुए उनके सत्कार हेतु तत्पर हुई। जब उसने भगवान को भोजन का आग्रह किया, तब श्रीराम ने कहा, “माई, मेरा हंस भी भूखा है, पहले उसे मोती खिला दो।”

बुढ़िया चिंतित हुई लेकिन मना नहीं कर सकी। वह राजा से उधार मोती लेकर आई और हंस को खिला दिए। इसके बाद श्रीराम ने भोजन किया और प्रसन्न होकर उसके आंगन में मोतियों का पेड़ लगा दिया। कुछ समय में पेड़ बड़ा हुआ और मोती फलने लगे।

जब राजा ने यह देखा, तो पेड़ को अपने महल में मंगवा लिया, परंतु वहां कांटे उग आए। अंततः पेड़ फिर से वृद्धा के आंगन में आ गया, और उसमें पुनः मोती लगने लगे। यह कथा भगवान की लीला और भक्त पर कृपा का सुंदर उदाहरण है।

भारत में राम नवमी के प्रमुख आयोजन स्थल

  1. अयोध्या (उत्तर प्रदेश): भव्य शोभायात्रा और रामलला के मंदिर में विशेष पूजा।
  2. रामेश्वरम (तमिलनाडु): समुद्र तट पर हजारों श्रद्धालु स्नान करते हैं।
  3. भद्राचलम (तेलंगाना): यहां श्रीराम ने सीता माता की खोज की थी।

क्या करें और क्या न करें?

करने योग्य:

  • गरीबों को भोजन या वस्त्र दान दें।
  • “राम रक्षा स्तोत्र” का पाठ करें।
  • परिवार के साथ रामायण की कहानियां साझा करें।

न करने योग्य:

  • किसी से झूठ बोलें या वादा तोड़ें।
  • पूजा में बासी फूल या पत्ते इस्तेमाल करें।

निष्कर्ष

“Ram Navmi Kyo Manai Jati Hai” का उत्तर सिर्फ एक त्योहार तक सीमित नहीं है। यह हमें धैर्य, न्याय और करुणा का पाठ पढ़ाता है। आज के समय में जहां स्वार्थ और अशांति बढ़ रही है, वहां राम का आदर्श हमें सही मार्ग दिखाता है। इस नवमी पर प्रण करें कि हम रामराज्य की कल्पना को सच करने के लिए छोटे-छोटे प्रयास करेंगे।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के आधार पर प्रस्तुत की गई है। हिन्दीसनातन इस जानकारी की सत्यता या सटीकता का दावा नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल जानकारी के रूप में लें और किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार के अंधविश्वास या गलत धारणाओं को बढ़ावा देना नहीं है।

Jagdish Kumar

नमस्ते मेरा नाम जगदीश कुमार है , मे hindisanatan.com मे चौघड़िया, मंत्र-स्तोत्र, भजन, पाठ और पूजा विधि जैसे आध्यात्मिक विषयों पर लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी लोगों तक पहुँचाना है।

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