mohini ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना गया है। वर्ष में 24 एकादशियाँ आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग आध्यात्मिक महत्व होता है। मोहिनी एकादशी, वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है, और यह व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। यह व्रत मनुष्य को मोह, माया और पापों के जाल से मुक्त करता है, इसीलिए इसका नाम ‘मोहिनी’ पड़ा। mohini ekadashi 8 may 2025 ko hai
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मोहिनी एकादशी की कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha in Hindi)
एक बार युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “हे जनार्दन! वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में कौन-सी एकादशी होती है, और उसके व्रत से क्या फल प्राप्त होता है? कृपया विस्तार से बताएं।”
तब भगवान श्रीकृष्ण बोले,
“हे राजन्! वैशाख शुक्ल पक्ष की जो एकादशी है, वह मोहिनी एकादशी कहलाती है। इस व्रत को करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को प्राप्त करता है।”
प्राचीन समय की बात है – सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नामक एक नगरी थी, जहाँ राजा द्रव्यमान राज्य करते थे। उनके राज्य में धनपाल नाम का एक श्रेष्ठ वैश्य रहता था, जो विष्णु भक्त था और सदैव दान-पुण्य में लगा रहता था। उसने धर्मशालाएं, प्याऊ, और अन्नक्षेत्रों की स्थापना करवाई थी। उसके पाँच पुत्र थे – सुमन, प्रीति, मेधावी, सुकृति और दृष्टबुद्धि।
उसका पांचवां पुत्र दृष्टबुद्धि, अपने नाम के अनुसार ही अत्यंत पापी और दुराचारी था। वह मदिरा पान, मांस भक्षण और नीच संगति में रहता था। एक दिन उसके पिता ने उसे किसी वैश्य के साथ देख लिया और क्रोधित होकर घर से निकाल दिया।
घर से निकाले जाने के बाद दृष्टबुद्धि ने चोरी-डकैती जैसे अपराध करने शुरू कर दिए। जब वह पकड़ा गया, तो नगर से भागकर जंगल में जा पहुँचा और वहाँ पशु-पक्षियों को मारकर अपना पेट भरने लगा।
एक दिन वह भूखा-प्यासा इधर-उधर भटक रहा था और पुंडरीक ऋषि के आश्रम में पहुँच गया। उस समय वैशाख मास चल रहा था और ऋषि गंगा स्नान कर लौट रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों की कुछ बूँदें दृष्टबुद्धि के ऊपर पड़ीं, जिससे उसमें थोड़ी सद्बुद्धि जागृत हुई।
वह ऋषि के चरणों में गिरकर बोला,
“हे मुनिवर! मैंने अपने जीवन में बहुत पाप किए हैं, कृपया मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे मैं इन पापों से मुक्ति पा सकूं।”
पुंडरीक ऋषि बोले,
“हे वत्स! यदि तुम सच्चे मन से वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का व्रत करोगे, तो तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे।”
दृष्टबुद्धि ने ऋषि के बताये अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा से किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए और अंततः वह विष्णुलोक को प्राप्त हुआ।
इसलिए कहा गया है कि मोहिनी एकादशी व्रत मनुष्य को मोहजाल से मुक्त करता है और यह व्रत हजारों गोदान के फल के बराबर है।
जय श्री हरि विष्णु!
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मोहिनी एकादशी व्रत विधि (Vrat Vidhi)
- दशमी तिथि को केवल एक समय सात्विक भोजन करें।
- एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा पीले फूल, तुलसी पत्र, दीप-धूप और फल से करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- फलाहार व्रत रखें या निर्जल उपवास करें।
- रात को जागरण करें, भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करें।
मोहिनी एकादशी व्रत के लाभ
सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
मन को शुद्धि और शांति प्राप्त होती है।
जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह व्रत मानसिक भ्रम, मोह और लोभ को दूर करता है।
निष्कर्ष
मोहिनी एकादशी न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मन और आत्मा को शुद्ध करने का भी माध्यम है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करना चाहिए।