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महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्त्व और दर्शन की विधि

Published On: February 11, 2025
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12 ज्योतिर्लिंगों
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महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे पावन पर्व है। इस दिन शिव भक्त भगवान के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने की इच्छा रखते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में और उनके दर्शन की विधि।

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1 सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

    सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे दुनिया का पहला ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।

    महत्त्व: चंद्रमा ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी।

    दर्शन विधि: गंगाजल और बेलपत्र अर्पित करें।

    2 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

      यह ज्योतिर्लिंग शिव और पार्वती के स्वरूप में स्थित है।

      महत्त्व: इसे दक्षिण काशी भी कहा जाता है।

      दर्शन विधि: शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।

      3 महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन, मध्य प्रदेश)

        महाकालेश्वर भारत का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है।

        महत्त्व: यह ज्योतिर्लिंग कालों के काल भगवान शिव का प्रतीक है।

        दर्शन विधि: भस्म आरती में भाग लें।

        4 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

          यह नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित है।

          महत्त्व: यह भगवान शिव के ओंकार स्वरूप का प्रतीक है।

          दर्शन विधि: शिवलिंग पर फूल और धतूरा अर्पित करें।

          5 केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)

            यह ज्योतिर्लिंग हिमालय पर्वत की गोद में स्थित है।

            महत्त्व: यह पांडवों से जुड़ी कथा के कारण प्रसिद्ध है।

            दर्शन विधि: कठिन यात्रा के बाद भगवान शिव का दर्शन करें।

            6 भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

              यह सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है।

              महत्त्व: यह शिव के भीम रूप का प्रतीक है।

              दर्शन विधि: शिवलिंग पर जल अर्पित करें।

              7 काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

                यह ज्योतिर्लिंग मोक्ष का द्वार माना जाता है।

                महत्त्व: यहां भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं।

                दर्शन विधि: गंगा स्नान के बाद भगवान शिव का दर्शन करें।

                8 त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

                  यह नासिक जिले में स्थित है।

                  महत्त्व: यहां गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है।

                  दर्शन विधि: शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं।

                  9 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

                    यह ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध है।

                    महत्त्व: भगवान शिव ने यहां रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।

                    दर्शन विधि: शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें।

                    10 नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

                      यह द्वारका के पास स्थित है।

                      महत्त्व: यह शिव के नागेश्वर स्वरूप का प्रतीक है।

                      दर्शन विधि: धूप-दीप जलाकर पूजा करें।

                      11 रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

                        यह हिंद महासागर के तट पर स्थित है।

                        महत्त्व: भगवान राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी।

                        दर्शन विधि: समुद्र स्नान के बाद भगवान शिव का दर्शन करें।

                        12 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

                          यह शिवलिंग एलोरा की गुफाओं के पास स्थित है।

                          महत्त्व: इसे सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

                          दर्शन विधि: शिवलिंग पर जल अर्पित करें।

                          महाशिवरात्रि पर 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व

                          महाशिवरात्रि के दिन इन 12 ज्योतिर्लिंगों का ध्यान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जो भक्त स्वयं वहां नहीं जा सकते, वे घर पर भगवान शिव का ध्यान करके भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

                          सारांच

                          महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का ध्यान करना जीवन को सफल बनाता है। इस पवित्र दिन पर शिव भक्ति में लीन होकर जीवन के समस्त पापों का नाश करें।

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                          नमस्ते मेरा नाम जगदीश कुमार है , मे hindisanatan.com मे चौघड़िया, मंत्र-स्तोत्र, भजन, पाठ और पूजा विधि जैसे आध्यात्मिक विषयों पर लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी लोगों तक पहुँचाना है।

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