Holi Dahan Vidhi हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात को किया जाता है। इसे होलिका दहन के नाम से भी जाना जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन होलिका माता का पूजन कर अग्नि में अपनी समस्त बुरी आदतों, दोषों और नकारात्मक ऊर्जा को समर्पित किया जाता है।
Holi Dahan Vidhi न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी इसका विशेष महत्व है। यह अनुष्ठान हमें बुराई से दूर रहने और अच्छाई की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
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Holi Dahan ka Mahatva
होलिका दहन का उल्लेख पुराणों में मिलता है। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने होलिका का दहन किया था। तब से यह परंपरा हर वर्ष बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।
Holi Dahan ke Labh
नकारात्मक ऊर्जा का नाश
परिवार में सुख-शांति का आगमन
बुरी नजर और टोने-टोटके से रक्षा
मानसिक शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति
Holi Dahan Samagri Suchi
Holi Dahan Vidhi
- स्थान की शुद्धि
होलिका दहन स्थल को स्वच्छ करें।
गंगाजल का छिड़काव करके स्थान को पवित्र बनाएं।
- होलिका का निर्माण
गोबर के उपलों और लकड़ियों से होलिका तैयार करें।
कच्चे सूत को तीन बार घुमाकर होलिका के चारों ओर बांधें।
- संकल्प लेना
हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प मंत्र बोलें:
“ॐ विष्णवे नमः, सर्वक्लेशों के निवारण हेतु अहं होलिका दहनं करिष्ये।”
- पूजन सामग्री अर्पित करना
होलिका माता को रोली, अक्षत, हल्दी और फूल अर्पित करें।
नारियल और गुड़ को भोग के रूप में अर्पित करें।
- परिक्रमा और आरती
दीपक जलाकर होलिका की आरती करें।
परिवार के सभी सदस्य सात बार होलिका की परिक्रमा करें।
होली Dahan ke Niyam
पूजा केवल संध्या के समय की जाती है।
शुद्ध मन और व्रत के साथ पूजा करें।
परिवार के सभी सदस्य पूजन में शामिल हों।
होलिका की परिक्रमा दाएं हाथ की ओर से करें।
निष्कर्ष
Holi Dahan Vidhi अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इस दिन किए गए पूजन से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
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