ganesh sankashti chaturthi: भगवान गणेश जी को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को विशेष रूप से सौभाग्य एवं पति प्रदायिनी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत संकटों के नाशक और मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है।
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Ganesh sankashti chaturthi व्रत तिथि और चतुर्थी का समय (2025)
व्रत तिथि प्रारंभ: 16 मई 2025 को शुक्रवार प्रातः 4:02 AM बजे
व्रत तिथि समाप्ति: 17 मई 2025 को शनिवार प्रातः 5:13 AM बजे
चंद्र दर्शन (चंद्रोदय) का समय: 16 मई 2025, रात 10:31 PM बजे
व्रत धारण की तिथि: 16 मई 2025 (चंद्रोदय व्याप्त होने के कारण)
ganesh sankashti chaturthi katha 2025 क्या है
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास (पूर्णिमांत पंचांग में ज्येष्ठ मास) की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
गणेश जी का यह एकदंत रूप उनके अष्टविनायक स्वरूपों में से एक माने जाते हैं। ‘एकदंत’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है – जिसके एक ही दांत हों।
पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान गणेश अपने पिता शिव जी से किसी कारण भेंट न होने देने हेतु द्वार पर पहरा दे रहे थे। तभी भगवान परशुराम ने क्रोधित होकर अपने फरसे से गणेश जी पर वार कर दिया, जिससे उनका एक दांत टूट गया। इसी कारण से वे ‘एकदंत’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
मुद्गल पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, जब मदासुर नामक असुर का अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं की रक्षा के लिए भगवान गणेश एकदंत रूप में प्रकट हुए। उनके रूप और शक्ति से भयभीत होकर मदासुर ने हार मान ली और पाताल लोक चला गया।
Sankashti chaturthi व्रत की पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर संकल्प लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान गणेश जी एवं चौथ माता की मूर्ति को गंध, पुष्प, धूप, दीप, सिंदूर, दूर्वा आदि से पूजें।
- नैवेद्य में घी से बने पकवान जैसे हलवा, मोदक, पूड़ी, लड्डू आदि अर्पित करें।
- पूजा के पश्चात गणेश जी की आरती करें और ब्राह्मणों को भोजन कराना श्रेष्ठ माना गया है।
- रात्रि में चंद्रमा के उदय के बाद चंद्र देव को जल या कच्चे दूध से अर्घ्य दें।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय मंत्र
“ॐ सोम सोमाय नमः”
“दधि शंख तुशाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्॥”
इन मंत्रों का जप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
ganesh sankashti chaturthi के 16 मई 2025 के प्रमुख मुहूर्त
सूर्योदय: 5:30 AM
सूर्यास्त: 07:06 PM
ब्रह्म मुहूर्त: 4:06 AM – 4:48 AM
प्रातः पूजा मुहूर्त: 4:27 AM – 5:30 AM
अभिजीत मुहूर्त: 11:50 AM – 12:45 PM
अमृत काल: 9:11 AM – 10:55 AM
विजय मुहूर्त: 2:34 PM – 3:28 PM
गोधूलि मुहूर्त: 7:04 PM – 7:25 PM
शाम की पूजा: 7:06 PM – 8:08 PM
राहुकाल: 10:14 AM – 11:54 AM (इस समय शुभ कार्य वर्जित है)
नक्षत्र एवं योग
नक्षत्र: मूल (शाम 4:07 तक), तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग: सिद्धि योग (सुबह 7:15 तक), फिर श्राद्ध योग
इस दिन का धार्मिक महत्व
ganesh sankashti chaturthi इस दिन आखुरत नामक गणेश जी का विशेष पूजन किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह संबंधी सुख, सौभाग्य एवं जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। श्रद्धा से व्रत और पूजन करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों के संकटों का नाश करते हैं।
नोट: व्रत से जुड़ी हर विधि को शास्त्रीय नियमों के अनुसार करें और चंद्रोदय के समय व्रत का पारण करें।
निष्कर्ष
संकष्टी चतुर्थी व्रत न केवल भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्ति का माध्यम है, बल्कि यह हमारे जीवन के संकटों, विघ्नों और बाधाओं को दूर करने का शक्तिशाली उपाय भी है। ज्येष्ठ मास की संकष्टी चतुर्थी, जो सौभाग्य और पति प्रदायिनी मानी जाती है, विशेष महत्व रखती है। इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत, पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने से सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और पारिवारिक शांति की प्राप्ति होती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के आधार पर प्रस्तुत की गई है। हिन्दीसनातन इस जानकारी की सत्यता या सटीकता का दावा नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल जानकारी के रूप में लें और किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार के अंधविश्वास या गलत धारणाओं को बढ़ावा देना नहीं है।