---Advertisement---

Mahashivratri 2025: पूजा विधि, व्रत कथा और महत्त्व

Published On: February 11, 2025
Follow Us
Mahashivratri 2025
---Advertisement---

Mahashivratri 2025: हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।

इसे भी पढ़ो- Holi 2025: इतिहास, महत्त्व, होलिका दहन और रंगों की होली खेलने के टिप्स

महाशिवरात्रि व्रत का महत्त्व

इस दिन व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि का व्रत भक्तों के लिए आत्मशुद्धि का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Mahashivratri 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि: 11 मार्च 2025 (मंगलवार)

शुभ मुहूर्त:

निशिता काल पूजा का समय: रात 12:09 से 01:00 तक

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2025 को सुबह 04:09 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2025 को सुबह 03:45 बजे

Mahashivratri 2025 व्रत और पूजा विधि

  1. स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा जल या शुद्ध जल से स्नान करें।
  2. स्वच्छ वस्त्र: साफ कपड़े पहनें और शिवलिंग की स्थापना करें।
  3. पूजन सामग्री: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, धतूरा और फूल चढ़ाएं।
  4. मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  5. आरती: शिव जी की आरती करें और भोग लगाएं।
  6. रात्रि जागरण: रातभर जागरण करें और शिव चालीसा का पाठ करें।

महाशिवरात्रि व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने गया। अंधेरा हो जाने के कारण वह वापस नहीं लौट पाया। भूख-प्यास से व्याकुल शिकारी ने एक बेल के पेड़ के नीचे रात्रि बिताने का निर्णय लिया। शिकारी को पता नहीं था कि जिस पेड़ के नीचे वह बैठा है, उसके नीचे शिवलिंग स्थापित है।

रातभर बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरते रहे और अनजाने में ही शिकारी ने भगवान शिव की पूजा कर दी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया और उसके जीवन के सभी पाप नष्ट हो गए।

महाशिवरात्रि पर ध्यान देने योग्य बातें:

बिना प्याज-लहसुन का भोजन करें।

व्रत के दौरान फलाहार का सेवन करें।

गलत विचारों से बचें और मन को शुद्ध रखें।

गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि और भगवान शिव के प्रति असीम भक्ति का प्रतीक है। इस दिन व्रत और पूजन करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

Hindi Sanatan

नमस्ते मेरा नाम जगदीश कुमार है , मे hindisanatan.com मे चौघड़िया, मंत्र-स्तोत्र, भजन, पाठ और पूजा विधि जैसे आध्यात्मिक विषयों पर लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी लोगों तक पहुँचाना है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now