shiv Panchakshar Stotra: महत्व, अर्थ और लाभ

Published On: जनवरी 4, 2025
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shiv panchakshar stotra

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हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना अनेक रूपों में की जाती है। उनमें से एक है shiv panchakshar stotra, जिसे आदिगुरु शंकराचार्य ने रचा था। यह स्तोत्र भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों के लिए न केवल साधना का मार्ग है, बल्कि उनके जीवन में शांति, सुख और आध्यात्मिकता लाने का एक माध्यम भी है।

shiv panchakshar stotra का पाठ

shiv panchakshar stotra भगवान शिव की स्तुति करते हुए उनके विभिन्न गुणों और स्वरूपों का वर्णन करता है। इसका प्रत्येक श्लोक “ॐ नमः शिवाय” के पाँच अक्षरों (न, म, शि, वा, य) की महिमा को दर्शाता है।

श्लोक 1 (नकार):

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय

भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय

तस्मै न काराय नमः शिवाय॥

अर्थ: भगवान शिव, जो नागराज के हार को धारण करते हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, और जिनका शरीर भस्म से सुशोभित है। वे सनातन, शुद्ध, और दिगंबर हैं। ऐसे नकार स्वरूप भगवान शिव को नमस्कार।

श्लोक 2 (मकार):

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय

नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय

तस्मै म काराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो मन्दाकिनी (गंगा) के जल और चंदन से विभूषित हैं, नंदी और गणों के स्वामी हैं, और जिन्हें मन्दार पुष्पों से पूजित किया जाता है। ऐसे मकार स्वरूप भगवान शिव को प्रणाम।

श्लोक 3 (शिकार):

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय

तस्मै शि काराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो गौरी (पार्वती) के वदन (मुख) के समान सुशोभित हैं, दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले हैं, नीलकंठ और वृषभध्वजधारी हैं। ऐसे शिकार स्वरूप शिव को प्रणाम।

श्लोक 4 (वकार):

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्चित

सुरासुरैर्वन्दितपादपद्म।

कृपाकराय स्मरणार्तिनाशनं

तस्मै व काराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो वशिष्ठ, अगस्त्य और गौतम ऋषि द्वारा पूजित हैं, देवता और दानवों द्वारा वंदित हैं, और भक्तों के दुखों को हरते हैं। ऐसे वकार स्वरूप शिव को नमस्कार।

श्लोक 5 (यकार):

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय

पिनाकहस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय

तस्मै य काराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो यज्ञस्वरूप, जटाधारी, पिनाकधारी, और अनादि हैं, वे दिव्य और दिगंबर भगवान शिव को नमस्कार।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व

  • 1. आध्यात्मिक शांति: यह स्तोत्र मानसिक तनाव को दूर करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
  • 2. पापों का नाश: इसे श्रद्धा से जपने से जीवन के पापों का क्षय होता है।
  • 3. शिव कृपा: भगवान शिव की कृपा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
  • 4. मंत्र की शक्ति: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की गहराई को समझने का यह सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का जाप कैसे करें?

  • 1. स्थान: शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  • 2. समय: प्रातःकाल और संध्या का समय सर्वोत्तम है।
  • 3. श्रद्धा: पूरे मन और श्रद्धा से इसका पाठ करें।
  • 4. माला: रुद्राक्ष की माला से इसे 11, 21, या 108 बार जपें।
निष्कर्ष

shiv panchakshar भगवान शिव की स्तुति का अद्भुत स्तोत्र है। यह न केवल शिव की महिमा का बखान करता है, बल्कि साधक को आत्मिक शांति और ईश्वर की निकटता का अनुभव कराता है। इसे नियमित रूप से जपने से शिव कृपा से जीवन की हर बाधा दूर होती है और साधक को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।

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नमस्ते मेरा नाम जगदीश कुमार है , मे hindisanatan.com मे चौघड़िया, मंत्र-स्तोत्र, भजन, पाठ और पूजा विधि जैसे आध्यात्मिक विषयों पर लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी लोगों तक पहुँचाना है।

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Jagdish Kumar

नमस्ते मेरा नाम जगदीश कुमार है , मे hindisanatan.com मे चौघड़िया, मंत्र-स्तोत्र, भजन, पाठ और पूजा विधि जैसे आध्यात्मिक विषयों पर लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी लोगों तक पहुँचाना है।

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