Dev Diwali Varanasi: ये एक पर्व नहीं बल्कि दिव्यता और आस्था का संगम है इस दिन पूरा बनारस देवभूमि बन जाता है। गंगा के घाटों पर हजारों लाखों दीप जलते हैं, और पूरा वातावरण “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठता है।
कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वयं काशी में आकर दीप जलाते हैं, क्योंकि यहीं भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इसी खुशी में देवताओं ने काशी में दिवाली मनाई, और तभी से इस पर्व का नाम देव दिवाली पड़ा ।
हर साल की तरह इस बार भी Dev Diwali Varanasi 2025 में बुधवार 5 नवंबर को गंगा के घाटों पर भव्य दीपोत्सव, लेज़र शो, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फायरवर्क्स का आयोजन होने जा रहा है। तो आइए जानते हैं कि देव दिवाली आखिर क्यों बनारस में मनाई जाती है, इसका क्या महत्व क्या है, और इस साल 2025 में क्या-क्या खास होने वाला है।
Contents
- 1 देव दिवाली क्या है?
- 2 देव दिवाली की कथा: कब और कैसे हुआ इसका आरंभ
- 3 Dev Diwali Varanasi 2025: इस बार के खास आयोजन
- 4 इस बार का फायर क्रैकर शो (Dev Diwali Varanasi Fireworks)
- 5 Dev Diwali Varanasi 2025 घाटों की स्थिति और ट्रैफिक गाइड
- 6 नाव या क्रूज़ से देव दिवाली देखने वालों के लिए सुझाव
- 7 गरीबों के लिए सुझाव घाटों से देव दिवाली का आनंद कैसे लें?
- 8 निष्कर्ष
Dev Diwali Varanasi 2025: काशी की वो दिवाली जो देवताओं के लिए मनाई जाती है, पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें
देव दिवाली क्या है?
देव दिवाली दिवाली के 15 दिन बाद पड़ने वाली पूर्णिमा यानी कि कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। काशी जहां पार्वती के बिना महादेव का नाम भी अधूरा है। इसीलिए काशी में लोग सिर्फ महादेव नहीं कहते बल्कि, “ॐ नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव” कहते हैं। वाराणसी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है जो काफी पवित्र माना जाता है।
देव दिवाली की कथा: कब और कैसे हुआ इसका आरंभ
एक तरफ थे तारकासुर के तीनों पुत्र तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युनमाली, जिन्होंने ब्रह्मा जी के वरदान से ऋषियों और देवताओं को परेशान कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ काशी के राजा देवोदास ने भी ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि जब तक उनका शासन रहेगा, तब तक किसी देवता, यहां तक कि महादेव को भी काशी आने की अनुमति नहीं होगी।
भगवान विष्णु ने एक तरफ त्रिपुरासुर वध की योजना महादेव के हाथों बनाई, वहीं गणेश जी ने राजा देवोदास के मन में अश्वमेध यज्ञ का विचार डाला। महादेव ने त्रिपुरासुर का वध किया और उसी समय राजा देवोदास ने भी राजपाट त्यागकर महादेव की शरण ले ली। इसके साथ ही देवताओं को भी काशी आने की अनुमति मिल गई।
महादेव, जो इतने दिनों से काशी न आ पाने के कारण दुखी थे, उन्होंने त्रिपुरासुर वध के बाद सबसे पहले काशी के पंचगंगा घाट पर स्नान किया। देवताओं ने भी उनके साथ स्नान कर दीप प्रज्वलित किए। यही कारण है कि इस पर्व को देव दिवाली कहा जाता है, जब देवताओं ने स्वयं काशी में दीप जलाकर दिवाली मनाई।
Dev Diwali Varanasi 2025: इस बार के खास आयोजन
अब बात करते हैं Dev Diwali Varanasi 2025 के इवेंट्स की। इस साल देव दिवाली के अवसर पर पूरा बनारस दुल्हन की तरह सजेगा।
- सभी सड़कें, सरकारी और निजी भवन लाइटिंग से जगमगाएंगे।
- देव दिवाली 2025 का शुभ मुहूर्त शाम 5:15 बजे से रात 7:50 बजे तक रहेगा।
- गंगा महोत्सव की शुरुआत 01 नवंबर से 04 नवंबर तक राजघाट पर होगी, जिसमें हंसराज रघुवंशी और मालिनी अवस्थी जैसे प्रसिद्ध कलाकार प्रस्तुति देंगे।
- 03 नवंबर से 05 नवंबर तक चेत सिंह घाट पर लेजर शो होगा जिसमें 25 मिनट का शो ओर 17 मिनट प्रोजेक्शन मैपिंग और 8 मिनट लेजर शो रहेगा।
- देव दिवाली के दिन यानी 5 नवंबर को सभी घाटों पर लाखों दीये जलाए जाएंगे।
इस बार का फायर क्रैकर शो (Dev Diwali Varanasi Fireworks)
इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण है फायर क्रैकर शो। पिछले साल यह शो काशी विश्वनाथ ललिता घाट के सामने हुआ था, लेकिन इस बार यह इवेंट दशाश्वमेध घाट के सामने 20–30 मीटर लंबे प्लेटफॉर्म पर आयोजित होगा। शो की अवधि करीब 8 मिनट की होगी, जो गंगा आरती के बाद शाम को आयोजित किया जाएगा।
Dev Diwali Varanasi 2025 घाटों की स्थिति और ट्रैफिक गाइड
इस बार मां गंगा का जलस्तर अभी भी ऊँचा है। ऐसे में घाट से वॉक करना आसान नहीं रहेगा, इसलिए प्रशासन कई जगहों पर बैरिकेडिंग लगा सकता है जिसमे दशाश्वमेध घाट से ललिता घाट तक के संकरे रास्ते तक ओर 80 घाट से भदैनी घाट तक का इलाका
इसलिए अगर आप Dev Diwali Varanasi में शामिल होने जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि कुछ घाटों के बीच आवाजाही सीमित हो सकती है।
नाव या क्रूज़ से देव दिवाली देखने वालों के लिए सुझाव
जितने लोग नाव, बजड़ा या क्रूज़ से Dev Diwali Varanasi देखना चाहते हैं, उनके लिए कुछ जरूरी सुझाव:
- बनारस की सड़कों पर ट्रैफिक बहुत रहता है।
- गोदौलिया चौराहे पर रिपेयर का काम चल रहा है, इसलिए गाड़ियों से आने वालों को सावधानी बरतनी चाहिए।
- टू-व्हीलर पार्किंग: घाटों से कम से कम 1 किमी पहले पार्क करें।
- फोर-व्हीलर पार्किंग: ट्रामा सेंटर, बीएचयू, रविंद्रपुरी या सामने घाट की तरफ पार्क करें और वहां से ऑटो या टोटो लें।
- नाव बुकिंग के लिए सबसे सही घाट राजघाट। यहाँ रास्ते चौड़े हैं, पैदल कम चलना पड़ता है और वॉशरूम की सुविधा भी है।
ध्यान दें – नाव पर टॉयलेट की सुविधा नहीं होती है। इसलिए जाने से पहले शौचालय का उपयोग कर लें।
गरीबों के लिए सुझाव घाटों से देव दिवाली का आनंद कैसे लें?
अब बात उन लोगों की जो बिना नाव लिए घाटों से ही देव दिवाली का आनंद लेना साहते है । उनके लिए कुछ खास सुझाव:
अपनी गाड़ी किसी सुरक्षित और चौड़ी जगह पर ही पार्क करें।
एक घाट डिसाइड कर लें (जैसे 80 घाट, चेत सिंह घाट, दशाश्वमेध, ललिता या नमो घाट)।
फायर क्रैकर शो खत्म होने तक घाट से घाट वॉक न करें। क्योंकि 8:00 बजे के बाद नाव के किराए बहुत कम हो जाते हैं।
8 बजे के बाद नाव से सस्ते रेट पर पूरे घाटों का दीदार किया जा सकता है।
फायर शो के बाद भी लेजर शो और दीप जलते रहते हैं, इसलिए पूरी रात घाटों की रौनक बनी रहती है।
निष्कर्ष
Dev Diwali Varanasi 2025 एक पर्व नहीं, बल्कि दिव्यता और भक्ति का संगम है। यह वह रात है जब खुद देवता गंगा तट पर दीप जलाते हैं, महादेव का आशीर्वाद बनारस पर बरसता है और पूरी काशी “देवों की दिवाली” में नहाती है।
अगर आप इस बार बनारस जा रहे हैं, तो अपनी तैयारी पहले से करें चाहे नाव बुक करनी हो, पार्किंग प्लान करनी हो या घाट तय करना। अगर एक बार आप Dev Diwali Varanasi देख लेंगे, तो जीवनभर उस दृश्य को भूल नहीं पाएंगे।
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी Dev Diwali Varanasi 2025 से जुड़ी आम जानकारियों पर आधारित है।
कभी-कभी तारीख या कार्यक्रम में बदलाव हो सकता है, इसलिए जाने से पहले एक बार ऑफिशियल अपडेट जरूर देख लें।
















