Last sawan somwar 2025: सावन का महिना भगवान शिव की भक्ति ओर उनकी मनोकामना पूर्ति के लिए अति शुभ माना जाता है। सावन का महिना हिन्दू धर्म मे खास होता है, लेकिन इस सावन महीने के अंतिम सोमवार से इस महीने की समाप्ति हो तो इसका पुण्य ओर महत्व कई गुना बड़ जाता है।
भगवान शिव का भारत मे श्रद्धालु बड़े प्रेम भाव ओर आस्था के साथ इस सोमवार व्रत रखते है। ओर शिवजी को प्रसन्न कसरने के लिए पूजा-अर्चना करते है। मान्यता है की जो भी शिवजी भक्त इस सोमवार को व्रत करता है, उसका भाग्य बदलता है।
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Last sawan somwar 2025 का महत्व
सावन का महिना भगवान शिव को समर्पित माना गया है, ओर शिवजी का खास प्रिय दिन सोमवार होता है। हर सोमवार को भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र आदि भक्त अर्पित करते है, लेकिन इस अंतिम सोमवार के दिन विशेष तौर पर सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग जैसे शुभ योग बनते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस सोमवार को व्रत रखने से हर संकट हर परेशानी से मुक्ति मिलती है।
Last Sawan Somwar 2025 पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त 2025 शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर पड़ रहा है। दशमी तिथि रविवार 09:42 ए एम से शुरू होगी ओर 4 अगस्त 2025 सोमवार को 11:41 पर समाप्त होगी, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग का संयोग बनने वाला है। इस दिन अनुराधा नक्षत्र का सयोग बन रहा है, ओर चंद्रमा वृश्चिक राशि मे संचरण करेंगे।
4th Sawan Somwar 2025 shubh muhurat
ब्रह्म मुहूर्त | 04:20 AM – 05:02 AM |
प्रातः संध्या | 04:41 AM – 05:44 AM |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 05:44 AM – 09:12 AM |
अभिजित मुहूर्त | 12:00 PM – 12:54 PM |
विजय मुहूर्त | 02:41 PM – 03:35 PM |
गोधूलि मुहूर्त | 07:10 PM – 07:31 PM |
सायाह्न संध्या | 07:10 PM – 08:13 PM |
अमृत काल | 01:47 AM – 03:32 AM |
रवि योग | पूरे दिन |
- सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग ये योग कोई भी कार्य को सफल करने के लिए शुभ होते है।
- ब्रह्म मुहूर्त खासकर ध्यान, जप, साधना, और अध्ययन के लिए उत्तम है।
- अभिजित मुहूर्त वो समय होता है जब बिना पंचांग देखे कोई भी कार्य कर सकते है।
पूजा विधि
सावन के अंतिम सोमवार की पूजा विधि आसान है, लेकिन हर चरण मे श्रद्धा और शुद्धता जरूरी है।
- सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त मे स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें
- पूजा स्थल साफ करें, फिर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर वहा रखें
- सबसे पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश की वंदना करें।
- शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें
- फिर बेलपत्र, सफेद फूल, चंदन, धतूरा और भस्म अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें
- घी का दीपक जलाएं और फिर आरती करें। शिवपुराण या व्रतकथा का पाठ करें।
- दिनभर व्रत रखें – फल, दूध, या व्रत के लिए उपयुक्त भोजन लें
- शाम को फिर शिव-परिवार की पूजा करके दीपक जलाएं और घर पर प्रसाद बांटें
- अगले दिन किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन या दान देकर व्रत पूरा करें
क्या सावधानियां जरूरी हैं?
अंतिम सावन सोमवार की पूजा करते वक्त शांति ओर श्रद्धा से पालन करे। शराब, मांसाहार, तामसिक भोजन, अशुद्ध या चमकीले वस्त्र, वाद-विवाद या क्रोध इन सबसे बचे। पूजा करते वक्त साफ-सफाई ओर मन को पवित्र रखे। ओर पूरे दिन “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जप करे।
निष्कर्ष
सावन के अंतिम सोमवार का दिन जीवन मे नई शुरुआत, भगवान के प्रति विश्वास ओर ऊर्जा लता है। तो इस अंतिम सोमवार मे आप बड़े प्रेम से शिवजी की पूजा करे। इस सोमवार मे व्रत ओर पूजा करने से हर संकट से मुक्ति मिलेगी।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के आधार पर प्रस्तुत की गई है। हिन्दीसनातन इस जानकारी की सत्यता या सटीकता का दावा नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल जानकारी के रूप में लें और किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार के अंधविश्वास या गलत धारणाओं को बढ़ावा देना नहीं है।
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