देवी पार्वती को आदिशक्ति कहा जाता है, सभी देवीया माँ पार्वती के ही रूप है। माँ पार्वती की प्रिय चालीसा (parvati chalisa in hindi) को भक्त अपने जीवन मे जरूर पाठ, अध्यन करते है। अगर जीवन मे दुख है तो अपने मन की शांति के लिए माँ पार्वती की उपासना जरूर करे। इस चालीसा मे देवी पार्वती के गुणों और महिमा का वर्णन करता है।
अगर आपको माँ आदिशक्ति की चालीसा नहीं पता तो आज आपके लिए माँ की चालीसा लाए है , जिसको अपने जीवन मे उतारते है तो आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
Parvati chalisa in hindi
दोहा
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,
गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि ।
पार्वती चालीसा चौपाई
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो ।।
तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता ।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे ।।
ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर ।
कनक बसन कंचुकि सजाए, कटी मेखला दिव्य लहराए ।।
कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा ।
बालारुण अनंत छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी ।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन ।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय, कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय ।
त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।।
हैं महेश प्राणेश, तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब ।।
बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी ।
सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर ।।
कंठ हलाहल को छवि-छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगन के हित अस किन्हो, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ।।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जामय है सलिल तरंगा ।
सौत समान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।।
तेहि कों कमल बदन मुरझायो, लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो ।
नित्यानंद करी बरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी ।
काशी पुरी सदामन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी ।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय-जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे ।।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।
सबजन की ईश्वरी भगवती, पत प्राणा परमेश्वरी सती ।।
तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सु जब शिक्षा लीनी ।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ।।
पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमानाम तब तुमने पायउ ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे ।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वरदेने के वचन सुनाए ।।
मांगे उमावर पति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों ।
एवमस्तु कहीते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए ।।
करि विवाह शिव सों भामा, पुनः कहाई हर की बामा ।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जन-सुख देइहै तेहि ईसा ।।
॥ दोहा ॥
कूटि चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खानि
पार्वती निज भक्त हित, रहहु सदा वरदानि।
॥ इसत श्री पाविती चालीसा ॥
Parvati chalisa in hindi pdf
निष्कर्ष
माता पार्वती को प्रेम, शक्ति, करुणा और गृहस्थ जीवन की देवी माना जाता है। जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा ओर प्रेम से माँ की इस प्रिय “parvati chalisa in hindi” मे पाठ करता है, उस भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है।



















