भारतीय भक्ति संगीत में कई ऐसे भजन हैं जो हृदय को शांति और आत्मा को सुकून प्रदान करते हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत लोकप्रिय भजन है ‘श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी’,(Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics) जिसे प्रख्यात संगीतकार और गीतकार रवींद्र जैन ने रचा था। यह भजन भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के मन में भक्ति, श्रद्धा और प्रेम का संचार करता है।
Ravindra jain shri krishna govind hare murari lyrics
रवींद्र जैन भारतीय संगीत जगत के एक प्रमुख हस्ताक्षर थे, जिन्होंने अनेक भावपूर्ण और भक्ति संगीत की रचनाएँ कीं। वे नेत्रहीन होने के बावजूद अपनी संगीत साधना से करोड़ों लोगों के हृदय को छूने में सफल रहे। उन्होंने रामानंद सागर की प्रसिद्ध टेलीविजन श्रृंखला ‘रामायण’ सहित कई धारावाहिकों और फिल्मों में अमर संगीत दिया।
shri krishna govind hare murari lyrics
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
एक मात स्वामी सखा हमारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा
बंदी गृह के तुम अवतारी
कही जन्मे कही पीला मुरारी
किसी के जाए किसी के कहे
है अद्भुत हर बात टिहरी
गोकुल में चमके मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
आधार में बंशी ह्रदय में राधे
बात गए दोनों में आधे आधे
हे राधा नगर हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तो के काम साढ़े
वहीँ गए वहीँ गए जहा गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
भजन का महत्व और अर्थ
‘श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी’ भजन में भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों का गुणगान किया गया है। इस भजन में श्रीकृष्ण को ‘गोविंद’, ‘हरे’, ‘मुरारी’, और ‘हे नाथ नारायण वासुदेवा’ कहकर पुकारा गया है। ये सभी नाम भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं और विशेषताओं को दर्शाते हैं।
भजन के बोल कुछ इस प्रकार हैं:
“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा।”
इसमें ‘गोविंद’ का अर्थ है गोपालक, अर्थात गायों का रक्षक, जो भगवान कृष्ण का एक महत्वपूर्ण रूप है। ‘मुरारी’ का तात्पर्य है वह, जिसने असुर ‘मुरा’ का वध किया था। ‘वासुदेव’ का अर्थ है वासुदेव पुत्र, जो भगवान कृष्ण के पिता का नाम था।
Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics के भजन का प्रभाव
यह भजन सुनने और गाने से भक्तों के हृदय में प्रेम और श्रद्धा का भाव जागृत होता है। यह भजन हमें श्रीकृष्ण की लीलाओं की याद दिलाता है और हमें भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। विशेष रूप से कृष्ण जन्माष्टमी, एकादशी, और अन्य धार्मिक अवसरों पर यह भजन बड़े भव्य रूप में गाया जाता है।
निष्कर्ष
‘श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी’ भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शांति का स्रोत है। रवींद्र जैन द्वारा रचित यह भजन भक्तों को श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन कर देता है और उन्हें ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति कराता है।
यदि आप भक्ति संगीत प्रेमी हैं और अपने जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना चाहते हैं, तो यह भजन आपकी भक्ति सूची में अवश्य होना चाहिए।
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