Gupt Navratri muhurat 2025: आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की आज प्रतिपदा तिथि है 26 जून 2025 आज के दिन गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है गुप्त नवरात्र के इन 9 दिनों में भक्त उपवास ओर संकल्प लेते है और रोज सुबह और शाम मां दुर्गा कि आराधना करते हैं। गुप्त नवरात्रि बहुत कम लोगों को पता है क्योंकि गुप्त नवरात्र जो होते हैं वह सिद्धियों के लिए होते हैं जो साधक है जो पूजा पाठ बहुत करते हैं जिन्हे अपनी शक्तियों को तीव्र करना है वोह लोग गुप्त नवरात्रि में पूजा करते हैं ये तंत्र, मंत्र और यंत्र तीनों से अपनी चीजों को साधते हैं आइए जानते हैं कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त।
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गुप्त नवरात्रों कब शुरू हो रही है
गुप्त नवरात्रि के आरंभ की बात करें तो गुप्त नवरात्र इस बार 26 जून से लेकर के 4 जुलाई तक रहेंगे और इस गुप्त नवरात्रि में आप अगर विद्या प्राप्त करना चाहते हो तो माता सरस्वती की आराधना करें ज्ञान बुद्धि विद्या सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हो तो भगवान गणेश जी की आराधना करें, उसी प्रकार से अगर आप किसी भी प्रकार की बाधा बंधन भूत प्रेत आदि से मुक्त होना चाहते हो तो हनुमान चालीसा के पाठ कर सकते हो उसी प्रकार से अगर आप आरोग्य अच्छा रखना चाहते हो स्वास्थ्य से आप सुखी रहना चाहते हो तो भगवान शिव जी की आराधना कर सकते हो उस गुप्त नवरात्र में आप अपनी मनोकामना के अनुसार अपने इष्ट देवता कुल देवता कुलदेवी या फिर कामना के अनुसार उस देवी या देवता की उपासना कर सकते हो।
Gupt Navratri muhurat 2025 कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि के कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त की बात करें तो
कलश स्थापना मुहूर्त: 05:25 AM से 06:58 AM तक
इसकी अवधि समय – 01 घंटा 33 मिनट्स
कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त: 11:56 PM से 12:52 PM तक
इसकी अवधि समय – 00 घंटे 56 मिनट्स
मिथुन लग्न प्रारंभ: 26 जून 2025 को 05:25 AM बजे
मिथुन लग्न समाप्त: 26 जून 2025 को 06:58 AM बजे
गुप्त नवरात्रि क्या है
नवरात्रि चार बार आते हैं दो आते हैं गुप्त नवरात्रि और जो दो आते हैं उजागर नवरात्रि तो गुप्त नवरात्रि जो होते हैं ये देवी के दश महाविद्या के होते हैं उग्र स्वरूप की आराधना होती है अगर हम दूसरे नवरात्रि देखें जो शारदीय नवरात्रि होते हैं जो चैत्र मास के नवरात्रि होते हैं वो मां के शांत स्वरूप के हैं जिसमें माता शैलपुत्री मां ब्रह्मचारिणी मां चंद्रघंटा कूष्मांडा देवी और बाकि के स्वरूपों की पूजा होती है जिनके बारे में लोगों को पता है लेकिन जो गुप्त नवरात्रि होती हैं वो देवी की दश महाविद्या के होते हैं जिसमें माता काली माता छिंद मस्तिका माता त्रिपुर सुंदरी माता बगलामुखी इन सभी उग्र स्वरूपों की पूजा की जाती और ये नवरात्रि साधना की दृष्टि से तंत्र की दृष्टि से और साथ ही जो लोग इस में आगे बढ़ना चाहते हैं उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण रहते हैं
गुप्त नवरात्रों में कौनसा मंत्र जाप करें
गुप्त नवरात्रों की साधना में सबसे पहले तो शिव जी को गुरु बनाना है। फिर आप किन मंत्र ओर श्लोक का जप कर सकते हो इसके अलावा दुर्गा सप्तशति में कुछ श्लोक है और नव दुर्गा रक्षामंत्र का जाप किया जाता है इसके अलावा और भी कई सारे हैं इन मूल मंत्रों का जाप किया जाता है या फिर मां काली का बीज मंत्र का भी जाप कर सकते हो।
“ॐ नमः शिवाय”
“ॐ क्रीं कालिकायै नमः”
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
9 देवी के बीज मंत्र:
- शैलपुत्री: ह्रीं शिवायै नमः।
- ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः।
- चन्द्रघंटा: ऐं श्रीं शक्तयै नमः।
- कूष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नमः।
- स्कंदमाता: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः।
- कात्यायनी: क्लीं श्री त्रिनेत्राय नमः।
- कालरात्रि: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।
- महागौरी: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।
- सिद्धिदात्री: ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के आधार पर प्रस्तुत की गई है। हिन्दीसनातन इस जानकारी की सत्यता या सटीकता का दावा नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल जानकारी के रूप में लें और किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार के अंधविश्वास या गलत धारणाओं को बढ़ावा देना नहीं है।
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